पुनर्वास मनोविज्ञान के सिद्धांत Principles of Rehabilitation Psychology in Hindi.
Authored- DR. Sunita Rani
On this page, you’ll read “principles of rehabilitation in Hindi” which is the most important in MA Psychology. आप इस पेज में पुनर्वास हस्तक्षेप के सिद्धांत के बारे में जानेंगे | अगर आपने पुनर्वास क्या है ?, अर्थ, परिभाषा, लक्ष्य, प्रक्रिया अभी तक नहीं पढ़ा है तो आप निचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते है |
यहाँ क्लिक करें
पुनर्वास मनोविज्ञान के सिद्धांत
पुनर्वास हस्तक्षेप के सिद्धान्त
पुनर्वास प्रक्रिया के हस्तक्षेप करने में मनोवैज्ञानिक को निम्न सिद्धान्तों का ध्यान रखना चाहिए।
• मनोवैज्ञानिक को विभिन्न विकलांगता प्रतिमानों और मॉडल और सेवा प्रावधानों में उसके उपयोग की जानकारी होनी चाहिए और उन्हें जानने का प्रयास करते रहना चाहिए।
• मनोवैज्ञानिक को विभिन्न विकलांगों के प्रति खुद की मान्ताओं और भावनात्मक प्रतिक्रियाओं की जाँच करने का प्रयास करना चाहिए और यह निर्धारित करना चाहिए कि किस प्रकार से उसके काम को प्रभावित कर सकते हैं।
• मनोवैज्ञानिक को प्रशिक्षण, पर्यवेक्षण, शिक्षा और विशेषज्ञ परामर्शन द्वारा अपने ज्ञान और दक्षता को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए।
• मनोवैज्ञानिक को संघीय और राज्य कानूनों की जानकारी होनी चाहिए जो विकलांग लोगों को समर्थन और उनकी रक्षा करते हों।
• मनोवैज्ञानिक को एक बाधामुक्त भौतिक और संचार वातावरण प्रदान करने का प्रयास करना चाहिए। जिससे विकलांग व्यक्ति मनोवैज्ञानिक सेवाओं तक पहुँच सके।
• मनोवैज्ञानिक को विकलांग व्यक्तियों के प्रति उपयुक्त भाषा और सम्मानजनक व्यवहार का उपयोग करना चाहिए।
• मनोवैज्ञानिक को विकलांग व्यक्तियों द्वारा साझा किये गये दोनो सामान्य अनुभवों और व्यक्तिगत विकलांगता अनुभवों को प्रभावित करने वाले कारकों को समझने का प्रयास करना चाहिए।
• मनोवैज्ञानिक को विकलांग व्यक्तियों के जीवन में सामाजिक और सांस्कृतिक विविधता को पहचानने का प्रयास करना चाहिए।
• मनोवैज्ञानिक को यह जानने का प्रयास करना चाहिए कि विभिन्न दृष्टिकोण और गलत धारणायें, सामाजिक वातावरण और विकलांगता का प्रकृति किस प्रकार के व्यक्ति को जीवनभर प्रभावित कर सकती हैं।
• मनोवैज्ञानिक को विकलांग व्यक्तियों के परिवारों में ताकत और चुनौतियों को पहचानने का प्रयास करना चाहिए।
• मनोवैज्ञानिक को यह पहचानने का प्रयास करना चाहिए कि विकलांग लोगों के साथ दुव्र्यवहार का जोखिम ज्यादा हो सकता है। अतः वो दुव्र्यवहार सम्बन्धी स्थितियों को सही तरीके से सम्बोधित करे।
• मनोवैज्ञानिक को सहायक तकनीक या उपकरणों द्वारा प्रस्तुत अवसरों और चुनौतियों के बारे में सीखने का प्रयास करना चाहिए।
• मनोवैज्ञानिक को यह पहचानने का प्रयास करना चाहिए कि विकलांगता के लिए व्यकितगत प्रतिक्रिया की एक विस्तृत श्रृंखला हो सकती है और उस विकलांग व्यक्ति का सहयोग करें और जब उचित हो विकलांग व्यक्ति के परिवारों के साथ मनोवैज्ञानिक हस्तक्षेप की योजना बनाने व विकसित करने का प्रयास करना चाहिए।
• चिकित्सीय संरचना और पर्यावरण का प्रभाव विकलांग व्यक्ति के साथ काम पर पड़ता है। मनोवैज्ञानिक को इस बात को समझने का प्रयास करना चाहिए।
• मनोवैज्ञानिक को यह पहचानने का प्रयास करना चाहिए कि हस्तक्षेप से विकलांग व्यक्ति की ताकत बढ़ाने के साथ – साथ तनाव को कम करने और कौशल की कमी को दूर करने पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।
• विकलांग लोगों के समर्थन, उपचार या शिक्षित करने वाली प्रणालियों के साथ काम करते समय मनोवैज्ञानिक रोगों के द्रष्टिकोण को सर्वोपरि रखें। और रोगी के आत्मनिर्धारण, एकीकरण, विकल्प और कम से कम प्रतिबन्धात्मक विकल्पों की पैरवी करनी चाहिए।
• मनोवैज्ञानिक विकलांग व्यक्तियों के लिए स्वास्थ्य समवर्धन के मुद्दों और उन्हें सम्बोधित करने का प्रयास करें।