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पुनर्वास क्या है?
पुनर्वास वह प्रक्रिया है, जो दैनिक जीवन के कामों में आवश्यक क्षमताओं को वापस पाने रखने या सुधारने में मदद कर सकती है। ये क्षमतायें शारीरिक, मानसिक और या संज्ञानात्मक (सोच और सीखने) हो सकती है किसी बीमारी या चोट के कारण या मेडिकल उपचार के खराब असर के कारण इनमें कमी आ सकती है। पुनर्वास से इन समस्याओं से उत्पन्न परेशानियों से व्यक्ति के दैनिक व्यवसायिक जीवन में सुधार आ सकता है।
पुनर्वास की आवश्यकता उस समय होती है जब एक व्यक्ति को उम्र बढ़ने या स्वास्थ्य की स्थिति के कारण रोजमर्रा के काम काज करने में कठिनाई या सीमाओं का अनुभव हो रहा हो, या होने की सम्भावना हो। इसमें पुरानी बीमारी विकार या आघात भी शामिल है कामकाज में सीमाओं के उदाहरण में सोचने, देखने, सुनने, संचार घूमने, रिश्ते रखने, या नौकरी रखने में कठिनाई हो सकती है। पुनर्वास सभी उम्र के व्यक्तियों को उनके दैनिक जीवन की गतिविधियों को बनाए रखने या वापस करने, सार्थक जीवन भूमिकाओं को पूरा करने और खुद के कल्याण को अधिकतम करने में सक्षम बनाता है।
पुनर्वास की परिभाषा –
विश्व स्वास्थ्य संगठन ;2011द्ध के अनुसार, ‘‘पुनर्वास को उन उपायों का एक समूह के रूप में परिभाषित किया गया है, जिससे उन व्यक्तियों की मदद की जाती है, जो विकलांगता का अनुभव करते हैं या उन्हें विकलांगता होने की सम्भावना है, जिससे वो अपने वातावरण में पारस्परिक क्रिया करते समय अधिकतम कार्यात्मकता को प्राप्त करें और इसे बनाए रखें’’।
‘‘कारावास, व्यसन या बीमारी के बाद प्रशिक्षण और चिकित्सा के माध्यम से किसी को स्वास्थय या सामान्य जीवन में पुनःस्थापित करने की प्रक्रिया पुनर्वास कहलाती है’’।
पुनर्वास एक व्यक्ति केन्द्रित स्वास्थ्य रणनीति है जिसे या तो विशेष पुनर्वास कार्यक्रमों (आमतौर पर जटिल आवश्यकताओं वाले लोगों के लिए), या अन्य स्वास्थ्य कार्यक्रमों और सेवाओं में शामिल किया जाता है जैसे प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा, मानसिक स्वास्थ्य, देखने और सुनने सम्बन्धी कार्यक्रम।
पुनर्वास की जरूरत किसे हैं?
पुनर्वास उन लोगों के लिए है जो उन क्षमताओं को खो चुके है जिनकी उन्हें दैनिक जीवन के लिए आवश्यक है। सामान्य रूप से पुनर्वास की आवश्यकता के निम्न सामान्य कारण है।
–> जलने फ्रैक्चर (टूटी हुई हड्डियां) मस्तिष्क की चोट और रीढ़ की हड्डी में चोट
–> आघात (Trauma)
–> बड़ी सर्जरी
–> चिकित्सा उपचार के पश्चात् के खराब असर (Side Effect) जैसे कि कैंसर के उपचार से होने वाले असर
–> कुछ जन्म के समय के दोष और आनुवंशिक विकार
–> विकास असमर्थता
–> पुराना दर्द, इसमें पीठ और गर्दन का दर्द भी शामिल है
पुनर्वास के लक्ष्य क्या है?
पुनर्वास का समग्र लक्ष्य व्यक्ति को उसकी पहले वाली क्षमताओं को वापस पाने में मदद करना है, और स्वतंत्रता हासिल करवाना है। जिससे व्यक्ति व्यक्तिगत रूप से अपना जीवन जी सके। लेकिन प्रत्येक व्यक्ति के लिए विशिष्ट लक्ष्य अलग-अलग होते हैं। विशिष्ठ लक्ष्य इस बात पर निर्भर करते हैं कि समस्या किस कारण से हुई है क्या कारण चल रहा है या अस्थाई है कौन सी क्षमताएं खो गयी हैं, और कौन सी क्षमतायें अभी हैं और समस्या कितनी गम्भीर है। उदाहरण के लिए जिस व्यक्ति को स्ट्रोक हुआ है, उसे बिना मदद के कपड़े पहनने या स्नान करने अपने रोजमर्रा के काम करने के लिए पुनर्वास की आवश्यकता हो सकती है।
एक सक्रिय व्यक्ति जिसे दिल का दौरा पड़ा है, हृदय सम्बन्धी पुनर्वास के माध्यम से व्यायाम करके वापस जाने को कोशिश कर सकता है। फेफड़े की बीमारी से पीड़ित किसी व्यक्ति को फुसफसीय (inhaler) पुनर्वास प्राप्त हो सकता है जो बेहतर सांस लेने और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में सक्षम हो ।
पुनर्वास कार्यक्रम में क्या होता है?
- पुनर्वास कार्यक्रम को देने वाली विभिन्न स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं की एक टीम होती है, जो व्यक्ति की मदद करते हैं। इस स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं की टीम में निम्न व्यक्ति शामिल होते हैं-
(i) रोगी और उसका परिवार
(ii) मनोचिकित्सक
(iii) पुनर्वास नर्स
(iv) नैदानिक समाजिक कार्यकर्ता
(v) व्यवसायिक चिकित्सक
(vi) भौतिक चिकित्सक
(vii) वाक चिकित्सक
(viii) पुनर्वास मनोवैज्ञानिक
(ix) न्यूरो मनोवैज्ञानिक व अन्य
यह टीम रोगी की आवश्यकताओं लक्ष्यों और उपचार योजना बनाकर रोगी के साथ काम करता ही है। उपचार योजना या हत्यक्षेप योजना में उपचार के प्रकार शामिल हो सकते हैं।
- सहायक उपकरण जो उपकरण या उत्पाद जो विकलांग लोगों को स्थानांतरित करने और कार्य करने में सहायता करते हैं सहायक उपकरण कहलाते हैं। पुनर्वास कार्यक्रम में विकलांग व्यक्ति के कार्यों को सरल बनाने के लिए सहायक उपकरण प्रदान किये जाते हैं।
- संज्ञानात्मक पुनर्वास चिकित्सा रोगी को राहत देने या सोचने सीखने स्मृति, योजना बताने और निर्णय लेने जैसे कौशल में सुधार करने में मदद करती है।
- मानसिक स्वास्थ्य परामर्श
- अपनी भावनाओं को व्यक्त करने अपनी सोच को बेहतर बनाने और सामाजिक सम्बन्धों को विकसित करने में मदद करने के लिए संगीत या कला चिकित्सा का प्रयोग किया जाता है।
- पोषण सम्बन्धी परामर्श
- ताकत, गतिशीलता और फिटनेस में मदद करने के लिए भौतिक चिकित्सा
- कला और शिल्प, खेल, विश्राम प्रशिक्षण के माध्यम से अपनी भावनात्मक भलाई (Emotional Well being) में सुधार के लिए मनोरंजन च्कित्सा
- बोलने समझने, पढ़ने, लिखने और भोजन निगलने में मदद करने के लिए वाक-भाषा चिकित्सा।
- दर्द का इलाज।
- विद्यालय या नौकरी पर काम करने के लिए कौशल निर्माण में मदद करने के लिए व्यवसायिक पुनर्वास। रोगी के आवश्यकताओं के आधार पर प्रदाताओं के कार्यालयों, अस्पताल, या रोगी पुनर्वास केन्द्र में पुनर्वास किया जा सकता है।
- यदि व्यक्ति अपने घर में रहता है तो पुनर्वास कार्य हेतु परिवार के सदस्यों या दोस्तों की आवश्यकता होगी जो व्यक्ति के पुनर्वास के लिए मदद कर सकते हैं
पुनर्वास प्रक्रिया को उन व्यक्तियों की मदद करने के लिए तैयार किया जाता है जिनके लिए उनके दैनिक कार्यकलाप करना मुश्किल होता है, उनकी अधिकतम कार्यत्मक क्षमता हासिल करने के लिए यह प्रक्रिया की जाती है। पुनर्वास समुदाय में या एक संस्थान या अस्पताल कार्यक्रय के माध्यम से आयोजित किया जा सकता है। पुनर्वास प्रक्रिया एक व्यापक उपचार है जिसमें एक बहु पेशेवर टीम शामिल है, पुनर्वास नर्सिंग स्टाफ, फिजियोथैरेपिस्ट व्यवसायिक चिकत्सक, वाक् चिकित्सक, मनोवैज्ञानिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता,
पुनर्वास प्रक्रिया में सामान्यतः निम्न चरण शामिल होते है।
- पुनर्वास पूर्व मूल्यांकन :- इस चरण में रोगी बहु पेशेवर टीम के पास आता है और टीम पुनर्वास उद्देश्यों के निर्धारित करने के लिए प्रारम्भिक निदान और मूल्यांकन करती हैं, रोगी की समस्या का समग्र मूल्यांकन किया जाता है। रोगी की मुख्य समस्याओं की पहचान की जाती है। समस्याओं को सही तरीके से परिभाषित किया जाता है। समस्या समाधान सम्बन्धी महत्वपूर्व कारकों पर भी ध्यान दिया जाता है। एक बीमारी या आघात के बाद अस्पताल में भर्ती रोगी का मूल्यांकन बृद्ध परिचर्या से सम्बन्धित या पूनर्वास विशेषज्ञ द्वारा किया जाता है इसमें स्वास्थ्य पेशेवर जैसे फिजियोथैरेपिस्ट या सामाजिक कार्यकर्ता से भी सलाह ली जाती है।
- पुनर्वास (हस्तक्षेप) :- पुनर्वास के हस्तक्षेप में चिकित्सा निगरानी (Medical Monitoring) और जोखिमों को संतुलित करने और जटिलताओं को रोकने के लिए एक संरंक्षित चिकित्सा कार्यक्रम होता है। आवश्यकतानुसार चिकित्सा व्यवसायिक शारीरिक वाक् और /या अन्य। समय – समय पर रोगी की प्रगति का मूल्यांकन किया जाता है। यह – समुदाय में इसकी वापसी को आसान बनाता है। इस प्रक्रिया के दौरान बहुपेशेवर टीम रोगी की प्रगति पर नजर रखती है और रोगी और उसके परिवार को घर पर अपेक्षित नयी जीवन शैली के लिए तैयार करने में मदद करती है। जो पुनर्वास के बाद रोगी की क्षमताओं के लिए उपयुक्त है।
- मूल्यांकन और निष्कर्ष :- पुनर्वास प्रक्रिया के मूल्यांकन और निष्कर्ष में आवश्यकतानुसार निरन्तर उपचार के लिए शिफारिश शामिल होती है। बहुपेशेवर टीम पुनर्वास के परिणामों का मूल्यांकन करती है, निरंतर उपचार के लिए परामर्श तैयार करती है और रोगी और उसके परिवार को रोगी की नयी जरूरतों के सम्बन्ध में निर्देश देती है। इस रिपोर्ट की एक प्रति रोगी को भी दी जाती है।
- रोगी को पुनर्वास के लिए अस्पताल या समुदाय में रेफर करना :- एक पुनर्वास विशेषज्ञ रोगी की आवश्यक निरन्तर देखभाल के प्रकार, साथ ही पुनर्वास के लिए उपयुक्त रूप-रेखा की शिफारिश करता है। हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय में हाल ही में समुदाय या अस्पताल में रोगियों के पुनर्वास के लिए दिशानिर्देश निर्धारित किये हैं।
अस्पताल या संस्थान में पुनर्वास की आवश्यकता की स्थिति-
(i) जब रोगी को चिकित्सीय देखरेख और दीर्घ कालिक चिकित्सा ओर नर्सिंंग देखभाल की आवश्यकता होती है।
(ii) एक कार्यात्मक और /या मनो-सामाजिक स्थिति जिसमें रोगी को अस्पताल छोड़ने से पूर्व तैयारी की आवश्यकता हो, यह उस स्थिति में होता है जो रोगी के घर आने के बाद उसकी देखभाल करने के लिए कोई नहीं होता है।
(iii) जब उपचार या हस्तक्षेप के लिए हमेशा विशेष उपकरण की आवश्यकता हो।
(iv) आर्थोपेडिक उपचार जब रोगी लम्बे समय तक चल या खड़े न हो पायें।
(v) जब रोगी में गम्भीर न्यूरोलॉजिकल क्षति हो।
(vi) जब रोगी पूर्ण रूप से दूसरों पर निर्भर हो
(vii) जब रोगी को समुदाय में पुनर्वास देना सम्भव न हो।
समुदाय में पुनर्वास –
समुदाय में निरन्तर पुनर्वास के लिए अस्पताल में छूटने के बाद समुदाय में जाने से पूर्व रोगी का प्रारम्भिक मूल्यांकन किया जाता है, जिसमें उपचार योजना बनाना शामिल है। यह मूल्यांकन पूनर्वास सेवा दे रहे स्टाफ द्वारा किया जाता है।
–> समुदाय में तीन प्रकार का पुनर्वास होता है।
(i) अस्पताल की सुविधा से एम्बूलेटरी पुनर्वास – उन व्यक्तियों के लिए जिन्हें तीन या अधिक प्रकार के उपचारों की आवश्यकता हेती है।
(ii) समुदायिक संस्थान में पुनर्वास – उन व्यक्तियों के लिए जिन्हें एक प्रकार के उपचार की आवश्यकता होती है।
(iii) घर पर पुनर्वास – उन व्यक्तियों के लिए जो अपनी कार्यात्मक स्थिति के कारण सामुदायिक सुविधा में असमर्थ हैं।
संस्थान आधारित पुनर्वास
संस्थान आधारित पुनर्वास किसी संस्थान में दिया जाता है, जहाँ उस विशेष समस्या से सम्बंधित विशेषज्ञ डॉक्टर, सलाहकार होते है | यह संस्थान क्षेत्रीय पुनर्वास केंद्र, जिला पुनर्वास केंद्र, शोध संस्थान या विशेष शिक्षा के लिए शैक्षणिक संस्थान ( जैसे- मूक बधिर विद्यालय, मंद बुद्धि बच्चो के लिए विद्यालय आदि )| यह अस्पताल में विशेष पुनर्वास यूनिट (भौतिक चिकित्सा, वाक् चिकित्सा व व्यावसायिक चिकित्सा केंद्र) में किया जाता है | संस्थान आधारित पुनर्वास शहर में दिया जाने वाला पुनर्वास है | अधिकतर सभी पुनर्वास केंद्र शहरों में स्थापित होते है | इस तरह के संस्थानों में सभी आधुनिक टेक्नोलॉजी और सुविधाएं उपलब्ध होती है |
समुदाय आधारित पुनर्वास
समुदाय आधारित पुनर्वास एक समुदाय विकास के उपाय है | जिसका उद्देश्य अपंग व्यक्तियों के जीवन को उनके समुदाय में रहते हुए बेहतर बनाना है | विकलांग लोगो और उनके परिवारों के लिए जीवन की गुणवता बढ़ाने, उनकी बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करना, और उनकी समुदाय में समावेश और भागीदारी सुनिश्चित करने के प्रयास में, 1978 में आलम आरा के घोषणा के बाद डब्लू. एच. ओ. (W.H.O.) द्वारा समुदाय आधारित पुनर्वास की शुरुआत की गयी, जबकि शुरुआत में संसाधन निहित सेटिंग्स में पुनर्वास सेवाओं को पहुचाने की रणनीति बनाईं गयी | समुदाय आधारित पुनर्वास अब एक बहु-क्षेत्रीय या बहु-विषयक कार्यक्रम है | जिसमे गरीबी और विकलांगता के सतत चक्र का मुकाबला करते हुए विकलांग लोगो का सामाजिक समावेश और उनके लिए अवसरों को बराबर उपलब्ध करना है | समुदाय आधारित पुनर्वस (सी. बी. आर.) को विकलांग लोगो, उनके परिवार और समुदाय के संयुक्त प्रयासों, सम्बंधित सरकारी और गैर सरकारी स्वास्थ्य, शिक्षा व्यवसाय, सामाजिक और अन्य सेवाओं के द्वारा कार्यान्वित किया जाता है | समुदाय आधारित पुनर्वास कार्यक्रम बहुक्षेत्रीय होने चाहिए ताकि वे उन सभी क्षेत्रो में सहायता प्रदान कर सके जो विकलांग लोगो के जीवन के गुणवता में सुधार के लिए केन्द्रित है | इस जटिलता के कारण सभी प्रकार के और सभी स्तरों पर सरकारी और गैर सरकारी संगठनो के बिच घनिष्ठ समन्वय, सहयोग की आवश्यकता को पहचानता है | समुदाय आधारित पुनर्वास में निहित बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण में निहित मूल अवधारणा, सामुदायिक स्तर के संगठनो के लिए मानव और वितीय दोनों की जिम्मेदारी और संसाधनों का विकेंद्रीकरण है |
इस दृष्टिकोण में, सरकारी और गैर सरकारी संस्थागत – आगे बढ़ाने की पुनर्वास सेवाएं (Outreach Rehabilitation Service) को सामुदायिक पहल और संगठनो का समर्थन करना चाहिए | समुदाय आधारित पुनर्वास के बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण को सफलता पूर्वक कार्यवाही करने के लिए एशियाई और प्रशांत क्षेत्र के अधिकांश देशो में सरकारी और गैर-सरकारी दोनों तरह की सेवा क्षमताओं में सुधार करने की आवश्यकता है | सामुदायिक भागीदारी के सरलीकरण के लिए क्षमता और दक्षताओं में सुधार की महता को विशेष समझा गया | दुर्लभ संसाधनों के इष्टतम उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए इस तरह के सुधार और सम्बंधित गतिविधियों को बारीकी से समन्वित किया जाना चाहिए | बहु-क्षेत्रीय अवधारणा के अनुसार, प्रणाली सामुदायिक स्तर पर और सरकारी और गैर-सरकारी संगठनो के बिच विकसित होते है जो एक-दुसरे से संपर्क करते है और पहुचते है | बहुक्षेत्रीय दृष्टिकोण की सफलता के लिए, एक और कारक समुदाय का सशक्तिकरण करना है | यह सुनिश्चित करना की उसके सभी सदस्य, विकलांग लोगो सहित, उस दसमुदाय के लिए उपलब्ध सभी संसाधनों तक सामान पहुँच प्राप्त कर सके और वे समुदाय के सामाजिक, आर्थिक और राजनितिक जीवन में पूरी तरह से भाग लेने के लिए सक्षम है | यह दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करता है की सी.बी.आर. के नाम पर जो काम किया जाता है | वह वास्तव में समुदाय की वास्तविकता में फिट बैठता है और समुदाय के सी.बी.आर. को समझने के लिए शुरूआती बिंदु 1994 में ILO, UNESCO और WHO द्वारा दिए गए निम्नलिखित दृष्टिकोण है |
सामुदायिक पुनर्वास (CBR) पुनर्वास के लिए सामुदायिक विकास के भितर सभी लोगो के लिए सामान अवसर और विकलांगो के सामाजिक एकीकरण की एक रणनीति है | सीबीआर को विकलांग लोगो उनके परिवारों और समुदाय के संयुक्त प्रयासों और उपयुक्त स्वास्थ्य, शिक्षा, व्यावसायिक और सामाजिक सेवाओं के माध्यम को लागू किया जाता है |
सीबीआर का यह दृष्टिकोण बहुक्षेत्रीय है और इसके सभी सरकारी और गैर सरकारी सेवाएं शामिल है जो समुदायों को सहायता प्रदान करती है | कई सेवाएं जो विकलांग लोगो के लिए अवसर और सहायता प्रदान कर सकती है | पारंपरिक रूप से सीबीआर कार्यक्रमों और विकलांग लोगो के लिए प्रासंगिक नहीं मानी जाती है | उदाहरण के लिए, सामुदायिक निकास संगठन, कृषि विस्तार सेवाएं, पानी और स्वच्छता कार्यक्रम शामिल है |
सीबीआर सन्दर्भ में, समुदाय का अर्थ है – अ) सामान्य हितो वाले लोगो का एक समूह जो एक दुसरे के साथ नियमित रूप से अंतक्रिया करते है ; और ब) एक भौगोलिक, सामाजिक या सरकारी प्रशासनिक इकाई |
समुदाय आधारित पुनर्वास कार्यक्रम के मानदंड-
सीबीआर कार्यक्रमों का विकास और कार्यान्वचन निम्नलिखित मानदंडो पर आधारित होना चाहिए :-
- विकलांग लोगो को सीबीआर कार्यक्रमों के सभी चरणों और स्तरों, प्रारंभिक कार्यक्रम के डिजाईन और कार्यान्वचन में शामिल किया जाना चाहिए | उनकी भागीदारी को महत्व देने के लिए उनके पास अलग-अलग निर्णय लेने वाली भूमिकाये होनी चाहिए |
- सीबीआर कार्यक्रम की गतिविधियों का प्राथमिक उद्देश्य विकलांग लोगो के जीवन की गुणवता में सुधार है |
- सीबीआर कार्यक्रम गतिविधियों का एक फोकस समुदाय के साथ काम करना, विकलांग लोगो के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण पैदा करना और समुदाय के सदस्यों को सीबीआर गतिविधियों में समर्थन और भाग लेने के लिए प्रेरित करना है |
- सीबीआर कार्यक्रमों का एक अन्य ध्यान, सभी प्रकार की अपंगताओं वाले व्यक्तियों (शारीरिक, संवेदी, मनोवैज्ञानिक और मानसिक) को सहायता प्रदान करना है | वृद्ध लोगो सहित सभी उम्र के लोगो के लिए, कुष्ट रोग से प्रभावित लोगो के लिए, मिर्गी से प्रभावित लोगो के लिए, और अन्य व्यक्तियों के लिए जिन्हें समुदाय द्वारा विशेष सहायता की आवश्यकता के रूप में पहचाना गया है जो सहायता प्रदान करता है |
- सीबीआर कार्यक्रमों की सभी गतिविधियाँ लड़कियों और महिलाओं की स्थिति के प्रति संवेदनशील होनी चाहिए | ऐसा इसलिए है क्योंकि पुरे एशियाई और प्रशांत क्षेत्र में कई समुदायों में महिलाओं के साथ सामान व्यव्हार नहीं किया जाता है जब वे विकलांग होती है तो उनके जीवन में आने वाली समस्याए दोगुनी हो जाती है | इसके अलावा महिलाएं आमतौर पर विकलांग लोगो के लिए परिवार में प्राथमिक देखभाल करने वाली होती है |
- सीबीआर कार्यक्रम लचीला होना चाहिए ताकि वे स्थानीय स्तर पर और स्थानीय परिस्थितियों के सन्दर्भ में संचालित हो सके | सीबीआर का केवल एक मॉडल नहीं होना चाहिए क्यूंकि विभिन्न सामाजिक और आर्थिक सन्दर्भों और अलग-अलग समुदायों की अलग-अलग समाधान की आवश्यकता होगी | लचीले स्थानीय कार्यक्रमों में सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित करें और विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम मॉडल जो विभिन्न स्थानों के लिए उपयुक्त हो परिणाम सवरूप प्रयोग किये जायें |
- सीबीआर कार्यक्रमों को सेवा वितरण को स्थानीय स्तर पर समन्वय करना चाहिए | समुदाय के सदस्य शयद ही कभी विभिन्न भूमिकाओं और विशेषता को समझते है जो विकलांग लोगो को सहायता प्रदान करने का हिस्सा है | वे केवल विकलांगता की समस्या को देखते है और केवल मदद के लिए एक खिड़की तक पहुँच चाहते है | वे इस बात पर ध्यान केन्द्रित कर सकते है की कहाँ जाना है और विशिष्ठ समस्या के बारे में किसे देखना है | वे समुदाय के सदस्य जिसे विकलांगता है, के सम्पूर्ण परेशानियों को समझ नहीं सकते है |
समुदाय आधारित पुनर्वास कार्यक्रम के घटक
(The Components of Community Based Rehabilitation Programmes) – सीबीआर प्रोग्राम के घटकों में निम्न शामिल होने चाहिए |
- विकलांग लोगो के प्रत्ति सकारात्मक दृष्टिकोण बनाना- सीबीआर कार्यक्रमों का यह घटक अपने स्वयं के समुदाय के भीतर विकलांग लोगो के लिए अवसरों के बराबरता (Equalization) को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है | समुदाय के सदस्यों में सकारात्मक मनोवृति को कार्यक्रम के डिजाईन और कार्यान्वन की प्रक्रिया में उन्हें शामिल करके और समुदाय के सदस्यों को विकलांगता के मुद्दों के बारे में ज्ञान स्थानांतरित करके बनाया जा सकता है |
- कार्यात्मक पुनर्वास सेवाओं का प्रावधान- अक्सर विकलांग लोगो को अपनी कार्यात्मक सीमाओं (विकलांगता) के प्रभावों को दूर करने या कम करने के लिए सहायता की आवश्यकता होती है | जिन समुदायों में पेशेवर सेवाएं उपलब्ध नहीं है या प्राप्त नहीं होती है, वहां सीबीआर कार्यकर्ताओं को प्राथमिक पुनर्वास चिकित्सा पुनर्वास के विभिन्न क्षेत्रो में देने के लिए प्रशिक्षित किया जाना च्चाहिये |
– मेडिकल
– आँख की देखभाल सेवाएं
– श्रवण संबंधी सेवाएं
– फिजियो थेरेपी
– व्यव्स्सयात्मक चिकित्सा
– वाक् चिकित्सा
– मनोवैज्ञानिक परामर्शन
- शिक्षा और प्रशिक्षण के अवसरों का प्रावधान- विकलांग लोगो कके पास शैक्षिक अवसरों की बराबर पहुँच और प्रशिक्षण होना चाहिए जो उन्हें अपने जीवन में होने वाले अवसरों का सबसे अच्छा उपयोग करने में सक्षम बनाएं | उन समुदायों में जहाँ पेशेवर सेवाएं प्राप्त नहीं हो सकती या उपलब्ध नहीं है, वहां सीबीआर कार्यकर्ताओ को प्राथमिक स्तर की सेवाएं को देने में प्रशिक्षित होना चाहिए | प्राथमिक स्तर की सेवाएं के क्षेत्र निम्न है |
– बचपन में हस्तक्षेप (Early Childhood Intervention) और रेफरल, विशेष रूप से चिकित्सा पुनर्वास सेवाओं के लिए |
– नियमित विद्यालयों में शिक्षा
– गैर औपचारिक शिक्षा जहाँ नियमित स्कूली शिक्षा उपलब्ध नहीं है |
– नियमित या विशेष विद्यालयों में विशेष शिक्षा |
– सांकेतिक भाषा प्रशिक्षण |
– ब्रेल पढने का प्रशिक्षण |
– दैनिक जीवन में कौशल प्राशिक्षण |
- सूक्ष्म और दीर्घ कालीन (Micro and Macro) आय सृजन के अवसरों को उत्पन्न करना :- विकलांग लोगो को जहाँ भी संभव हो, सूक्ष्म और दीर्घकालीन आय को सृजन करने की गतिविधियों को प्राप्त करने की आवश्यकता होती है, इसमें मौजूदा प्रणालियों के माध्यम से वितीय ऋण प्राप्त करना भी शामिल है | मलिन बस्तियों और ग्रामीण क्षेत्रो में, आय सृजन गतिविधियों को स्थानीय रूप से उपयुक्त व्यावसायिक कौशल पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए | इन कौशलों में प्रशिक्षण का आयोजन समुदाय के सदस्यों द्वारा किया जाना चाहिए , जो न्यूनतम सहायता के साथ, विकलांग लोगो के लिए अपने कौशल और ज्ञान को आसानी से स्थानांतरित कर सकते है |
- देखभाल सुविधाओं का प्रावधान – अक्सर, व्यापक विकलांगताओं वाले व्यक्ति को सहायता की आवश्यकता होती है | जब उनके पास कोई परिवार नहीं होता है या उनका परिवार उनकी देखभाल करने में असमर्थ होते है तो उनके जीवित रहने के लिए, समुदाय में दीर्घकालीन देखभाल सुविधाएँ प्रदान की जानी चाहिए जहाँ उन्हें वह सहायता मिल सकती है, जिसकी उन्हें आवश्यकता है | इसके अलावा डे-केयर सुविधाओं भी होनी चाहिए जो उन परिवारों को राहत प्रदान करे, जो या तो काम करते है या जिन्हें अन्य गतिविधियों के लिए समय की आवश्यकता है |
- विकलांगता के कारणों की रोकथाम – कई प्रकार की विकलांगता को अपेक्षा कृत, सरल उपायों द्वारा रोका जा सकता है | उचित पोषण, विकालांगता को रोकने के लिए अधिक महत्वपूर्ण तरीको में से एक है | विकलांगता की रोकथाम का अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र युवा बच्चों में विकलांगता का पता लगाना और उन्हें विकास में हस्तक्षेप करना है जिसमे हानीका प्रभाव कम हो सके | विकलांगता की रोकथाम के कई अन्य क्षेत्र भी महत्वपूर्ण है | इसमें घर पर, सड़क पर और काम पर दुर्घटनाओं की संख्या कम करने के लिए कार्य शामिल है, साथ ही साथ लोगो को अपने जीवन के दौरान स्वस्थ जीवन शैली को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अन्य पहल भी शामिल है |
- प्रबंधन, निगरानी और मूल्यांकन – सभी सीबीआर कार्यक्रम घटकों की प्रभावशीलता और क्षमता समुदाय में और समुदाय के बाहर सेवा वितरण के क्षेत्र में, प्रभावपूर्ण प्रबंधन पद्धति पर निर्भर करती है | कार्यक्रम की गतिविधियों के प्रभाव को नियमित आधार पर मापा जाना चाहिए | लोगो को प्रभावी प्रबंधन पद्धतियों में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए | यह सुनिश्च्चित करने के लिए की कार्यक्रम के उद्देश्यों को पूरा किया गया है | आकड़ों को एकत्र समीक्षा और मूल्यांकन किया जाना चाहिए | इस तरह, सीबीआर कार्यक्रम की सफलता या विफलता को ईमानदारी से मापा जा सकता है |
समुदाय आधारित पुनर्वास के विकास और कार्यान्वयन के लिए क्षेत्र और भूमिकाएं
सीबीआर कार्यक्रम को शुरू करने और उनके विकास को सुविधाजनक बनाने की पहल निम्नलिखित समूहों में से किसी एक से हो सकती है | हालाँकि सीबीआर की प्रभावशीलता और दीर्घकालिक विकास, और किसी भी सीबीआर कार्यक्रम की पहल की स्थिरता के लिए सभी सात समूहों को समन्वय, भागीदारी और सहयोग की आवश्यकता होगी | सात समूह और उनकी सुझाई गयी भूमिकाएं इस प्रकार है :-
- विकलांग व्यक्ति – विकलांग व्यक्ति को सीबीआर कार्यक्रम के सभी स्तरों में, कार्यक्रम के अन्दर प्रत्येक स्थिति (Position) में योगदान कर सकते है और करना चाहिए | वे जानते है की स्थानीय परिस्थितियों का प्रभाव उनके खुद पर क्या होता है | उनको इस बात की समझ होती है की उनके विकलांग साथियो पर उन प्रभावों की अच्छी समझ की संभावना होती है | वे यह भी जानते है की उनके परिवार समुदाय और राष्ट्र के सन्दर्भ में वास्तव में क्या हानि है | याह ज्ञान उन्हें सीबीआर टीम में प्रभावी सदस्य बनने में सक्षम बनाता है | वे विकलांग लोगो के रोल मॉडल के रूप में गैर विकलांग लोगो की तुलना में अधिक प्रभावी हो सकते है और दुसरे विकलांग व्यक्तियों का सामुदायिक शिक्षा में एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है | सामुदायिक शिक्षको के रूप में वे विकलांग लोगो के जीवित उदाहरणों के रूप में कार्य करते है जो एक महत्वपूर्ण योगदान है | बेशर्त है की उन्हें अवसर और सही प्रकार की सहायता दी जायें | सीबीआर कार्यक्रमों को सामुदायिक स्तर पर विकलांग लोगो के स्वयं-सहायता संगठनो के विकास की सुविधा प्रदान करनी चाहिए |
- विकलांग लोगो के परिवार :- परिवारों के पास अपने सभी सदस्यों की देखभाल करने की प्राथमिक जिम्मेदारी होती ही | वे स्थानीय स्तर पर विकलांग लोगो के लिए सहायता और सहायता की पहली पंक्ति है | इस प्रकार सीबीआर कार्यक्रम में विकलांग व्यक्ति के परिवारों को भी शामिल किया जान चाहिए | जहाँ पर एक विकलांग व्यक्ति सक्षम नहीं होता है | किसी भी कारण से खुद या खुद के लिए बोलने के लिए, वहां एक परिवार के सदस्य को उसका प्रतिनिधित्व करना चाहिए और विकलांग व्यक्तियों के संगठनो में उसे वैद्य सदस्य माना जाना चाहिए | विकलांग लोगो की देखभाल के अनुभव वाले परिवार के सदस्य अक्सर वे लोग होते है जो सीबीआर कार्यक्रम की शुरुआत करते है उनका सभी स्तरों पर सबसे प्रभावी योगदान होता है |
- समुदाय – समुदाय के सदस्यों को सभी स्तरों पर सीबीआर कार्यक्रमों में शामिल होना चाहिए क्योंकि वे पहले से ही स्थानिय पर्यावरण की स्थिति, स्थानीय अर्थव्यवस्था, स्थानीय रजनीतिक स्थिति और उनके साथ काम करने के तरीके को जानते है | वे स्थानीय रूप से उपलब्ध पुनर्वास सेवाओं की पहुँच, उलब्धता और प्रभावशीलता के बारे में भी जानते है | समुदाय के सदस्यों के पास सूक्ष्म आर्थिक गतिविधियों की जानकारी, दुसरो को प्रशिक्षित करने के लिए ज्ञान और कौशल होता है | वे समुदाय में रहना, काम करना और रहना चाहते है | सामुदायिक भागीदारी के लिए आमतौर पर समुदाय के नेताओं की औपचारिक और अनौपचारिक दोनों तरह के समझते और अनुमोदन की आवश्यकता होती है |
- सरकारें (स्थानीय, क्षेत्रीय, राष्ट्रिय)- समुदाय आधारित कार्यक्रमों के विकास और स्थिरता में सरकारों की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है | सीबीआर में कुल आबादी को कवर करने और टिकाऊ होने के लिए सरकार का सहयोग, समर्थन और भागीदारी आवश्यक है | सरकार को रेफरल सिस्टम के विकास के साथ-साथ समुदाय के भीतर की गतिविधियों सहित पटे कार्यक्रम सरंचना के विकास को लागु और समन्वय करना चाहिए | सरकारों को गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) और सामुदायिक गतिविधियों के लिए भी संसाधन उपलब्ध कराने चाहिए | अंत में सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए की विकलांगो से भेदभाव पूर्ण कानून को बदल दिया जाए और विकलांग लोगो के अधिकारों की गारंटी और सुरक्षा की जाये |
- गैर-सरकारी संगठन, स्थानीय, क्षेत्रीय, राष्ट्रिय और अंतराष्ट्रीय संगठन – गैर सरकारी संगठन, विकलांग लोगो के संगठन, अक्सर नए कार्यक्रमों के विकास के सुविधा के लिए संसाधन और कौशल प्रदान करने में सक्षम होते है, खासकर उन क्षेत्रो में जहाँ क्कोई भी मौजूद नहीं होता है | वे सीबीआर के लिए नए दृष्टिकोण विकसित कर सकते है और सरकारी कर्मचारियों सीबीआर श्रमिको विकलांग लोगो, परिवारों और समुदाय के सदस्यों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान कर सकते है | NGO, सीबीआर कार्यक्रम के नेताओं के रूप में समुदाय के सदस्यों के विकास को सुविधाजनक बनाने में प्रभावी है | वे अक्सर उन विकलांग लोगो के लिए दीर्घकालिक देखभाल सुविधाएं प्रदान करने में सक्षम होते है जिनके परिवार उनकी देखभाल नहीं कर सकते है या नहीं करेंगे |
- चिकित्सा पेशेवर, सम्बंधित विज्ञानं पेशेवर, सामाजिक वैज्ञानिक और अन्य पेशेवर – पेशेवर अक्सर ऐसी स्थिति में होते है जहाँ वे प्रशिक्षको और शिक्षको के रूप में, अपने सदस्यों और समुदाय के सदस्यों के लिए अपने ज्ञान और कौशल को सुलभ बनाकर नए कार्यक्रमों के विकास की सुविधा प्रदान कार सकते है | वह सीबीआर कार्यक्रम कार्यकर्ताओ के लिए भी प्रशिक्षण कार्यक्रम चला सकते है | वे रेफरल आधार पर खुद को उपलब्ध और लोग उन तक पहुँच सके ऐसा प्रयास कर सामुदायिक प्रयासों का समर्थन करते है | जब वे सरकारी सेवा में होते है तो वे स्थानीय स्तर की सेवाओ को जल्दी प्रदान करने के लिए प्रयास कर सकते है और सीबीआर कार्यक्रमों के विकास को प्रभावी तरीके से बढ़ावा दे सकते है |
- निजी क्षेत्र (व्यवसाय और उद्योग) – निजी क्षेत्र का या सामाजिक दायित्व है की वह अपने संचालन के कुछ लाभों को समुदाय को लौटाए जो इसका समर्थन करते है | सीबीआर कार्यक्रमों का समर्थन करने से, निजी क्षेत्र को अपनी सामाजिक भागीदारी के लिए श्रेय प्राप्त होता है | निजी क्षेत्र को भी सीबीआर कार्यक्रमों में सहयोग करना चाहिए |
सारांश –
हाल ही के वर्षो में समुदाय आधारित पुनर्वास की एक बहुक्षेत्रीय या बहु-विषयक अवधारणा विकसित हुई है | यह अवधारणा विकलांग लोगो के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण बनाने के लिए और विकलांग लोगो के लिए सहायता प्रदान करने और पर्यावरण और सेवा वितरण प्रणालियों में आवश्यक परिवर्तन करने के लिए समुदाय के साथ काम करने पर जोर देती है | इस वैचारिक परिवर्तन के जवाब में सीबीआर को अब एक सामुदायिक विकास कार्यक्रम के रूप में परिभाषित किया गया है जिसमे सात विभिन्न घटक है |
(क) विकलांग लोगो के प्रति सकारत्मक दृष्टिकोण का निर्माण
(ख) पुनर्वास सेवाओ का प्रावधान
(ग) शिक्षा और प्रशिक्षण के अवसरों का प्रावधान
(घ) सूक्ष्म और स्थूल आय सृजन के अवसरों का सृजन
(ङ) विकलांगो के कारणों की रोकथाम
(च) देखभाल सुविधाओं का प्रावधान
(छ) निगरानी और मूल्यांकन
सीबीआर कार्यक्रमों को शुरू करने और बनाये रखने के लिए संसाधनों, कौशल और पहल को सात सम्बंधित क्षेत्रो के सहयोग की आवशयकता होती है |
- विकलांग लोग
- विकलांग लोगो के परिवार
- समुदाय
- सरकारें (स्थानीय, क्षेत्रीय, राष्ट्रिय व अंतराष्ट्रीय)
- गैर सरकारी संगठन (स्थानीय, क्षेत्रीय, राष्ट्रिय और अंतराष्ट्रीय संगठन, और विकलांग लोगो के संगठन)
- चिकत्सा पेशेवर, संबंध स्वास्थ्य विज्ञानं पेशेवर, सामाजिक वैज्ञानिक और अन्य पेशेवर
- निजी क्षेत्र (व्यवसाय और उद्योग)
संस्थान आधारित पुनर्वास के लाभ-
- विशेषज्ञ सुविधाएं होने के कारण व्यक्ति की सही देखभाल हो पाती है |
- स्थिति का मूल्यांकन ठीक प्रकार से किया जा सकता है |
- यह व्यावसायिक सेवाओं की महता को बढ़ाता है |
- पुनर्वास में शामिल विशेषज्ञ पर विश्वास किया जा सकता है |
- संस्थानों में पूर्ण साधन उपलब्ध होते है अतः आवश्यकता पड़ने पर विशेषज्ञो को बुलाया जा सकता है |
- अच्छी सेवाएं सिर्फ संस्थानों में उपलब्ध हो सकती है |
- संस्थान में सभी पुनर्वास प्रक्रिया जो जल्दी शुरू कर दिया जाता है और यह विकलांगता पैदा करने वाली गंभीर बीमारी के इलाज के लिए एक सामानांतर प्रक्रिया बन जाती है | अतः संस्थान आधारित पुनर्वास में विकलांगता की शीघ्र पहचान संभव हो पाती है |
- अधिकांश गंभीर बीमारियों का उनके टर्मिनल चरणों में, अस्पताल या संस्थान में ही किया जाता है और वाही संस्थान में उनकी पुनर्वास भी शुरू कर दिया जाता है |
- कई प्रमुख विकलांगताओं को एक कुशल व्यक्ति द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है | संस्थान आधारित पुनर्वास, में न केवल शुरूआती पुनर्वास प्रक्रियाओं को शुरू करने का अवसर मिलता है, बल्कि संस्थान में कुशल सेवाएं भी प्रदान की जाती है |
- संस्थान में सभी भोजन उचित लागत पर उपलब्ध होता है |
- उपयुक्त मनोरंजन के लिए प्रावधान किया जाता है |
- सामान रूचि और क्षमताओं वाले समकालीनो के संपर्क के अवसर उपलब्ध होते है |
- अकेलेपन को ख़त्म करता है क्योंकि लोग हमेशा साथ के लिए उपलब्ध होते है |
समुदाय आधारित पुनर्वास और संस्था आधारित पुनर्वास में अंतर –
समुदाय आधारित पुनर्वास | संस्था आधारित पुनर्वास | |
01. इलाज का खर्च | समुदाय आधारित पुनर्वास में इलाज का खर्च सस्ता होता है क्योंकि समुदाय में उपलब्ध स्त्रोतों से इलाज की कोशिश की जाती है | | संस्था आधारित पुनर्वास में इलाज महंगा होता है | |
02. सेवाओं की उपलब्धता | यह सभी के लिए आसानी से उपलब्ध हो पाता है | | सिर्फ कुछ संस्थाये ही सभी के लिए उपलब्ध होती है | |
03. सेवाओं का विस्तार | सेवाओं का विस्तार बिना अधिक खर्च के किया जा सकता है | | संस्था आधारित पुनर्वास में यह संभव नहीं है | |
04. सामाजिक पुनर्वास | समुदाय आधारित पुनर्वास में सामाजिक पुनर्वास संभव है | | इसमें संभव नहीं है क्योंकि रोगी परिवार से दूर होता है | |
05. मनोवैज्ञानिक पुनर्वास | ज्यादा संभव है क्योंकि यहाँ रोगी को परिवार का सहयोग व समुदाय का सहयोग मिलता है | | ज्यादा संभव नहीं है पर रोगी के जैसे लोग होने के करण मनोबल में वृद्धि होती है | |
06. कुशल व्यक्तिगत देखभाल | समुदाय आधारित पुनर्वास में कुशल व्यक्तिगत देखभाल नहीं दी जा सकती है | | संस्था आधारित पुनर्वास में कुशल व्यक्तिगत देखभाल की जाना संभव है | |
07. उन्नत तकनीको का अनुप्रयोग | संभव नहीं है | | संस्था आधारित पुनर्वास में उन्नत तकनीको का प्रयोग संभव है | |
08. सेवाओं की गुणवता | अच्छी नहीं होती है | | संभवतः अच्छी होती है | |
09. सामाजिक आर्थिक स्थिति | ध्यान नहीं दी जाती जहाँ तक संभव हो सभी को सहायता दी जाती है | | ध्यान दी जाती है | सामाजिक आर्थिक स्थिति मजबूत होने पर सहायता दी जाती है | |
10. जागरूकता को बढ़ावा देना | समुदाय आधारित पुनर्वास में जागरूकता का प्रयास किया जाता है | | इस तरह का कोई प्रयास नहीं किया जाता है | |
11. समुदाय के साथ तालमेल | समुदाय के साथ तालमेल किया जाता है | | समुदाय के साथ तालमेल संभव नहीं हो पता है | |
12. मूल्यांकन | रोगी के स्थिति का मूल्यांकन नहीं किया जाता | | समय समय पर मूल्यांकन किया जाता है | |
13. प्रशिक्षण की अवधी और स्थान | 3 महीने से 1 वर्ष स्थानीय स्टार पर प्रशिक्षण दिया जाता है | | 4 वर्षीय डिग्री, संस्थागत प्रशिक्षण |
14. प्रशिक्षण का लक्ष्य | क्लाइंट अपने घर वापस जा कर कार्य कर सके इसके लिए हस्तक्षेप किया जाता है | | रोगी को हस्पताल से रिहाई हो सके, इस दिशा में हस्तक्षेप दिया जाता है | |