पुनर्वास – परिभाषा, प्रकार, चरण, उद्देश्य, एवं लक्ष्य

पुनर्वास क्या है?

पुनर्वास वह प्रक्रिया है, जो दैनिक जीवन के कामों में आवश्यक क्षमताओं को वापस पाने रखने या सुधारने में मदद कर सकती है। ये क्षमतायें शारीरिक, मानसिक और या संज्ञानात्मक (सोच और सीखने) हो सकती है किसी बीमारी या चोट के कारण या मेडिकल उपचार के खराब असर के कारण इनमें कमी आ सकती है। पुनर्वास से इन समस्याओं से उत्पन्न परेशानियों से व्यक्ति के दैनिक व्यवसायिक जीवन में सुधार आ सकता है।

पुनर्वास की आवश्यकता उस समय होती है जब एक व्यक्ति को उम्र बढ़ने या स्वास्थ्य की स्थिति के कारण रोजमर्रा के काम काज करने में कठिनाई या सीमाओं का अनुभव हो रहा हो, या होने की सम्भावना हो। इसमें पुरानी बीमारी विकार या आघात भी शामिल है कामकाज में सीमाओं के उदाहरण में सोचने, देखने, सुनने, संचार घूमने, रिश्ते रखने, या नौकरी करने में कठिनाई हो सकती है। पुनर्वास सभी उम्र के व्यक्तियों को उनके दैनिक जीवन की गतिविधियों को बनाए रखने या वापस करने, सार्थक जीवन भूमिकाओं को पूरा करने और खुद के कल्याण को अधिकतम करने में सक्षम बनाता है।

पुनर्वास की परिभाषा (Rehabilitation Definition)-

विश्व स्वास्थ्य संगठन (2011) के अनुसार, ‘‘पुनर्वास को उन उपायों का एक समूह के रूप में परिभाषित किया गया है, जिससे उन व्यक्तियों की मदद की जाती है, जो विकलांगता का अनुभव करते हैं या उन्हें विकलांगता होने की सम्भावना है, जिससे वो अपने वातावरण में पारस्परिक क्रिया करते समय अधिकतम कार्यात्मकता को प्राप्त करें और इसे बनाए रखें’’।

‘‘कारावास, व्यसन या बीमारी के बाद प्रशिक्षण और चिकित्सा के माध्यम से किसी को स्वास्थय या सामान्य जीवन में पुनःस्थापित करने की प्रक्रिया पुनर्वास कहलाती है’’।

पुनर्वास एक व्यक्ति केन्द्रित स्वास्थ्य रणनीति है जिसे या तो विशेष पुनर्वास कार्यक्रमों (आमतौर पर जटिल आवश्यकताओं वाले लोगों के लिए), या अन्य स्वास्थ्य कार्यक्रमों और सेवाओं में शामिल किया जाता है जैसे प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा, मानसिक स्वास्थ्य, देखने और सुनने सम्बन्धी कार्यक्रम।

पुनर्वास के प्रकार (Types Of Rehabilitation) –

पुनर्वास एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका उपयोग शारीरिक पुनर्वास और मानसिक विकारो, व्यंजन आदि से पीड़ित रोगी को चिकित्सा करने में किया जाता है  | पुनर्वास कार्यक्रम रोगी को उसके सामान्य जीवन में वापस लाने और आजीविका कमाने में मदद करता है | पुनर्वास अघात/सदमा से पीड़ित व्यक्ति की आवश्यकताओं अलग हो सकती है इसलिए यह कार्यक्रम व्यक्तिगत होता है | प्रत्येक रोगी पर व्यक्तिगत ध्यान दिया जाता है और उसके विकास की नियमित रूप से निगरानी की जाती है | आवश्यकताओं के अनुसार पुनर्वास कार्यक्रम को विभिन्न प्रकारों में विभाजित किया गया है |

  1. व्यवसायिक पुनर्वास (Occupational Rehabilitation)-
    यह विशेष प्रकार का पुनर्वास कार्यक्रम उन पीड़ितों के लिए है जिन्होंने लकवाग्रस्त, स्ट्रोक या किसी दुर्भाग्यपूर्ण बड़ी दुर्घटना के बाद, कुछ महत्वपूर्ण कौशल खो दिए है | हमें अपने जीवन में हर रोज इन कौशलों की आवश्यकता होती है | इसके बिना जीवित रहना असंभव है | कौशल जैसे लिखना, पढना, खाना बनाना आदि हम इन कौशलों को खो सकते है | यदि हमारा मस्तिष्क क्षतिग्रस्त हो जाता है | इस कारण पीड़ित एनी व्यक्तियों के साथ बातचीत करने में रूचि खो देता है | इस प्रकार के रोगी को चिकित्सक, व्यावसायिक चिकित्सक के पास जाने की सलाह देते है | यह विशेष प्रकार के चिकित्सक नियमित भौतिक व्यायाम करने में रोगी की मदद करते है और दवाइयां से रोगी की मांसपेशियों को मजबूत बनाने की कोशिश करते है | रोगी को उनके परामर्शक और मनोवैज्ञानिक के द्वारा विशेष सुरक्षा की जाती है |
  2. भौतिक पुनर्वास (Physical Rehabilitation)-
    इस प्रकार के पुनर्वास का प्रयोग हड्डी या मांसपेशियों की चोट से पीड़ित रोगी के लिए किया जता है | फिजियोथेरेपिस्ट कमर, गर्दन, कंधे आदि की मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए सही व्यायाम की व्यवस्था कर मदद करते है | यह चोटें, दुर्घटना, खेल आदि के कारण हो सकती है | भौतिक पुनर्वास में बहुत सरे उपचार और तकनीक उपलब्ध है | रिकवरी का समय एक व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति में अलग-अलग होता है और यह चोट पर भी निर्भर करता है | रोगी को नियमित रूप से व्यायाम के दिए गए पैटर्न का पालन करना होता है |
  3. जलीय पुनर्वास (Aquatic Rehabilition)-
    यह एक नया पुनर्वास है, फिर भी यह जोड़ों की समस्या के इलाज में सफल है | चिकित्सक विभिन्न प्रकार के पानी के व्यायाम जैसे तैराकी, पानी में एरोबिक व्यायाम आदि देकर रोगियों का इलाज करते है | यह गठिया, जोड़ों में दर्द और लकवाग्रस्त, स्ट्रोक के व्यक्ति के पैरो को मांसपेशियों को ताकत, लचीलापन और गतिशीलता देने में मदद करता है | इस कार्यक्रम को एक व्यक्ति की जरूरतों के अनुसार अनुकूलित किया जाता है और उसे चोट से उबरने के लिए इलाज ककिया जाता है ताकि उसका जीवन सामान्य हो सके |
  4. संज्ञानात्मक पुनर्वास (Cognitive Rehabilitation)-
    इस प्रकार का पुनर्वास मस्तिष्क क्षति से प्रभावित रोगी को दिया जाता है | नियमित गतिविधियों मी आने मी उनकी मदद की जाती है | इनका उपचार न्यूरो मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण की सहायता से किया जाता है | इस कार्यक्रम में रोगी को परामर्शन और मानसिक व्यायाम कराया जाता है | यह कार्यक्रम मस्तिष्क की चोट के संज्ञानात्मक सामाजिक, नैतिक और भावनात्मक पहलुओं को देखता है जिसने रोगी को निर्भर बनाया है |
  5. वोकेशनल पुनर्वास (Vocational Rehabilitation)-
    यह उन लोगो की मदद करने के लिए डिजाईन किया जाता है, जिन्हें रोजगार पाने में मुश्किल होती है या उसे वह कुछ स्थितिया जिनके कारण उनमे शारीरिक और मानसिक अपंगता आ जात्ती है जिसके कारण उसे बरकरार नहीं रख पाते है | इस पुनर्वास के अंतर्गत रोगी का शारीरिक और चिकित्सीय मूल्यांकन कर, नौकरी में नियुक्ति, नौकरी के लिए प्रशिक्षण आदि प्रदान किया जाता है |
  6. वाक् चिकित्सा (Speech Therapy)-
    वाक् चिकित्ससा में रोगी को वाक् विकारो को या वाक् का वापिस बहाल करने में मदद की जाती हाई | वाक् चिकित्सा मस्तिष्क की चोट, कैंसर, न्यूरो मस्कुलर बीमारी, स्ट्रोक अन्य चोट या बिमारियों के बाद रोगी के पुनर्वास के लिए निर्धारित की जाती है | वाक् चिकित्सा का कार्यक्रम की अवधी रोगी की चोट या बीमारी और रोगी की प्रतिक्रिया पर निर्भर करती है |
  7. हृदय रोगियों का पुनर्वास (Cardiac Rehabilitation)-
    इस तरह का पुनर्वास उन लोगो के लिए डिजाईन किया जाता है जिन्हें हृदय संबंधी समस्याएं है | हृदय रोगियों को स्वस्थ जीवन जीने और तनाव कम करने के लिए शिक्षित किया जाता है | इन सबसे हृदय सही प्रकार से कार्य कर सकने में सक्षम होता है |

पुनर्वास की प्रक्रिया (Step of Rehabilitation)-

  1. पुनर्वास पूर्व मूल्यांकन :- इस चरण में रोगी बहु पेशेवर टीम के पास आता है और टीम पुनर्वास उद्देश्यों के निर्धारित करने के लिए प्रारम्भिक निदान और मूल्यांकन करती हैं रोगी की समस्या का समग्र मूल्यांकन किया जाता है। रोगी की मुख्य समस्याओं की पहचान की जाती है। समस्याओं को सही तरीके से परिभाषित किया जाता है। समस्या समाधान सम्बन्धी महत्वपूर्व कारकों पर भी ध्यान दिया जाता है। एक बीमारी या आघात के बाद अस्पताल में भर्ती रोगी का मूल्यांकन बृद्ध परिचर्या से सम्बन्धित या पूनर्वास विशेषज्ञ द्वारा किया जाता है इसमें स्वास्थ्य पेशेवर जैसे फिजियोथैरेपिस्ट या सामाजिक कार्यकर्ता से भी सलाह ली जाती है।
  2. पुनर्वास (हस्तक्षेप) :- पुनर्वास के हस्तक्षेप में चिकित्सा निगरानी (Medical Monitoring) और जोखिमों को संतुलित करने और जटिलताओं को रोकने के लिए एक संरंक्षित चिकित्सा कार्यक्रम होता है। आवश्यकतानुसार चिकित्सा व्यवसायिक शारीरिक वाक् और /या अन्य। समय-समय पर रोगी की प्रगति का मूल्यांकन किया जाता है। यह – समुदाय में इसकी वापसी को आसान बनाता है। इस प्रक्रिया के दौरान बहुपेशेवर टीम रोगी की प्रगति पर नजर रखती है और रोगी और उसके परिवार को घर पर अपेक्षित नयी जीवन शैली के लिए तैयार करने में मदद करती है। जो पुनर्वास के बाद रोगी की क्षमताओं के लिए उपयुक्त है।
  3. मूल्यांकन और निष्कर्ष :- पुनर्वास प्रक्रिया के मूल्यांकन और निष्कर्ष में आवश्यकतानुसार निरन्तर उपचार के लिए शिफारिश शामिल होती है। बहुपेशेवर टीम पुनर्वास के परिणामों का मूल्यांकन करती है, निरंतर उपचार के लिए परामर्श तैयार करती है और रोगी और उसके परिवार को रोगी की नयी जरूरतों के सम्बन्ध में निर्देश देती है। इस रिपोर्ट की एक प्रति रोगी को भी दी जाती है।
  4. रोगी को पुनर्वास के लिए अस्पताल या समुदाय में रेफर करना :- एक पुनर्वास विशेषज्ञ रोगी की आवश्यक निरन्तर देखभाल के प्रकार, साथ ही पुनर्वास के लिए उपयुक्त रूप रेखा की शिफारिश करता है। हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय में हाल ही में समुदाय या अस्पताल में रोगियों के पुनर्वास के लिए दिशानिर्देश निर्धारित किये हैं।
  5. अस्पताल या संस्थान में पुनर्वास की आवश्यकता की स्थिति :-
    (i) जब रोगी को चिकित्सीय देखरेख और दीर्घ कालिक चिकित्सा ओर नर्सिंग देखभाल की आवश्यकता होती है।
    (ii) एक कार्यात्मक और/या मनो-सामाजिक स्थिति जिसमें रोगी को अस्पताल छोड़ने से पूर्व तैयारी की आवश्यकता हो। यह उस स्थिति में होता है जो रोगी के घर आने के बाद उसकी देखभाल करने के लिए कोई नहीं होता है।
    (iii) जब उपचार या हस्तक्षेप के लिए हमेशा विशेष उपकरण की आवश्यकता हो।
    (iv) आर्थोपेडिक उपचार जब रोगी लम्बे समय तक चल या खड़े न हो पायें।
    (v) जब रोगी में गम्भीर न्यूरोलॉजिकल क्षति हो।
    (vi) जब रोगी पूर्ण रूप से दूसरों पर निर्भर हो
    (vii) जब रोगी को समुदाय में पुनर्वास देना सम्भव न हो।

पुनर्वास का उद्देश्य (Purpose Of Rehabilitation)-

पुनर्वास का उद्देश्य रोगी के कुछ या सभी शारीरिक संवेदी और मानसिक क्षमताओं को बहाल करना है जो चोट या बीमारी के करण खो गए थे | पुनर्वास में रोगियों की इन कमियों की भरपाई करने में सहायता की जाती है जो चिकित्सीय रूप से वापिस नहीं लायी जा सकती | इसे विभिन्न प्रकार की चोट रोग या बिमारियों में निर्धारित किया जाता है, जिसमे अंग विच्छेद जैसी शल्यक्रियाओं, गठिया, कैंसर, हृदय रोग, तंत्रिका सम्बन्धी समस्या, आर्थोपेडिक चोटों, रीढ़ की हड्डी की चोट, स्ट्रोक और हादसे में लगी मस्तिष्क की चोटें आदि शामिल है |

सावधानियाँ (Precaution)- पुनर्वास किसी प्रशिक्षित चिकित्सक के द्वारा किया जाना चाहिए | व्यायाम और दुसरे भौतिक हस्तक्षेप रोगी की कमी को ध्यान में रखकर दिए जाने चाहिए | रोगी में कमी का उदाहरण किसी अंग का न होना या उसमे कमी होना हो सकता है |

व्याख्या (Explaination)- एक सही और उपयुक्त पुनर्वास कार्यक्रम कई प्रकार की अक्षमता स्थितियों को बदल सकती है, या रोगी को उस कमी से जो चिकित्सकीय सुविधा से बदल नहीं सकती है, के साथ समायोजन करने में मदद कर सकती है | पुनर्वास रोगी की भौतिक और वातावरणीय आवश्यकताओं पर केन्द्रित होता है | यह रोगी के शारीरिक कार्यो को बहाल करके और / या रोगी के भौतिक और सामाजिक वातावरण को संशोधित करके प्राप्त किया जाता है | पुनर्वास के मुख्य प्रकार भौतिक, व्यावसायिक और वाक्-चिकित्सा है | प्रत्येक पुनर्वास कार्यक्रम रोगी को आवश्यकताओं के अनुरूप होता है और इसमें एक या अधिक चिकित्सा के प्रकार शामिल हो सकते है | रोगी का चिकित्सा आमतौर पर पुनर्वास टीम के साथ समन्वय करता है और रोगी को अधिकतम सहायता पहुँचाने का प्रयास करता है | पुनर्वास टीम के अंतर्गत शारीरिक, व्यावसायिक, वाक् या एनी चिकित्सक नर्स, इंजिनियर, भौतिकवि (भौतिक दवाईयों से सम्बंधित), मनोवैज्ञानिक अर्थोटिस्ट (घुमावदार या ख़राब आकार की हड्डियों को सीधा करने के लुए ब्रेसिज जैसे उपकरण बनाते है), प्रोस्थेटिस्ट (चिकित्सक जो कृत्रिम अंग या प्रोथेसिस बनाते है) और व्यावसायिक परामर्शदाता शामिल होता है | परिवार के सदस्य भी रोगी के पुनर्वास कार्यक्रम में अक्सर सक्रीय रूप से शामिल होते है |

पुनर्वास के लक्ष्य क्या है?

पुनर्वास का समग्र लक्ष्य व्यक्ति को उसकी पहले वाली क्षमताओं को वापस पाने में मदद करना है, और स्वतंत्रता हासिल करवाना है। जिससे व्यक्ति व्यक्तिगत रूप से अपना जीवन जी सके। लेकिन प्रत्येक व्यक्ति के लिए विशिष्ट लक्ष्य अलग-अलग होते हैं। विशिष्ठ लक्ष्य इस बात पर निर्भर करते हैं कि समस्या किस कारण से हुई है क्या कारण चल रहा है या अस्थाई है कौन सी क्षमताएं खो गयी हैं, और कौन सी क्षमतायें अभी हैं और समस्या कितनी गम्भीर है। उदाहरण के लिए जिस व्यक्ति को स्ट्रोक हुआ है, उसे बिना मदद के कपड़े पहनने या स्नान करने अपने रोजमर्रा के काम करने के लिए पुनर्वास की आवश्यकता हो सकती है।

उदहारण के लिए:- एक सक्रिय व्यक्ति जिसे दिल का दौरा पड़ा है, हृदय सम्बन्धी पुनर्वास के माध्यम से व्यायाम करने के लिए करने वापस जाने को कोशिश कर सकता है। फेफड़े की बीमारी से पीड़ित किसी व्यक्ति को फुसफसीय पुनर्वास प्राप्त हो सकता है जो बेहतर सांस लेने और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में सक्षम हो ।

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